दर्द का भी अपना एक अलग नशा है,
इसे पीकर ही असल ज़िन्दगी जीते हैं हम...
न डुबो इन खुशियों में इस कदर तुम,
कि दर्द का इक कतरा भी तेजाब सा लगे...
आँखों में ही इन्हें रखो,बाहर मत छलकने दो,
नहीं तो सारा गम सैलाब बन उमड़ पड़ेगा...
कृति,
आकाश गौतम "अनंत"
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