हर किसी की ज़िन्दगी की अपनी अलग कहानी है,
कहीं अविकल बहता झरना तो कहीं ठहरा हुआ पानी है...
कोई डूबा है धन दौलत के समंदर में,
किसी को मुश्किल दो रोटी जुटानी है,
कहीं चहुँ ओर खुशहाली का राज है,
तो किसी के राज में भरसक बेईमानी है...
कहीं...
कोई बंधा है, रिश्ते नातों के प्यार में,
कहीं सूना बुढापा, अकेली जवानी है,
मदहोश है सभी अपनी ज़िन्दगी के नशे में,
मगर कम्बख्त ये ज़िन्दगी भी एक दिन चली जानी है...
कहीं...
कोई खामोश है, अपना गम सीने में दबाए,
कहीं छलकता दर्द किसी की जुबानी है,
कठपुतलियाँ बन नाच रहें है, वक़्त के आगे,
आखिर वक़्त ने भी करनी अपनी मनमानी है...
कहीं...
कृति,
आकाश गौतम "अनंत"
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